गावों मे रहकर बकरी पालन कैसे करे | Goat farming business idea
बकरी पालन ( Goat Farming ) एक लाभदायक व्यवसाय है, जो कम निवेश में अधिक मुनाफा देता है। बकरी लघु आकार की पशु है, जिसे बहुत आसानी से पाला जा सकता है। इसे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आसानी से किसानों द्वारा दूध तथा मांस के लिए पालन किया जाता है। बकरी पालन न केवल किसानों के लिए एक अतिरिक्त आय का स्रोत है, बल्कि इसका योगदान दूध, मांस, ऊन और खाद उत्पादन में भी महत्वपूर्ण है।
गावों मे रहकर बकरी पालन कैसे करे |गावो
भारत में पशुपालन का बिजनेस तेजी से बढ़ रहा है. आलम यह है कि किसानों के साथ-साथ पढ़े-लिखे लोग भी नौकरी छोड़ अतिरिक्त आमदनी के लिये पशुपालन करते हैं. इसमें बकरी पालन सबसे ज्यादा डिमांडिंग बिजनेस है. इस व्यवसाय के जरिए दूध से लेकर मांस तक बेचकर मोटी कमाई की जा सकती है. क्योंकि, बकरी के दूध और मांस दोनों की बाजार में काफी डिमांड है. इसके अलावा, इस कारोबार को शुरू करना भी बेहद आसान है. खास बात है कि इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकारी मदद भी मिलती है. वैज्ञानिक तरीके से बकरीपालन करने पर कम लागत में तीन से चार गुना तक अधिक आमदनी हो जाती है.
देश में कई लोग बकरी पालन का कारोबार करके मोटी कमाई कर रहे हैं. बकरी फार्म ग्रामीण इलाकों में तेजी से फल फूल रहे हैं, क्योंकि इससे दूध, खाद समेत कई प्रकार के लाभ मिलते हैं. खासकर उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसान अपनी रोजी-रोटी के लिये खेती के साथ-साथ बकरीपालन को दूसरे व्यवसाय के रूप में अपना रहे हैं. इस बिजनेस में नुकसान की संभावना कम रहती है. बता दें कि बकरी के दूध की मार्केट में काफी मांग है. वहीं, इसका मांस सबसे अच्छे मांस में से एक है जिसकी घरेलू मांग बहुत अधिक है और वैल्यू भी ज्यादा है |
बकरी पालन की प्रक्रिया
नस्लों का चयन (Selection of Breeds)
बकरी पालन का उद्देश्य तय करने के बाद उचित नस्ल का चयन करें।
दूध देने वाली नस्लें
जमनापारी – भारत की प्रसिद्ध नस्ल, जो प्रतिदिन 2-3 लीटर दूध देती है।
सानन – उच्च दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है।
बीटल – दूध और मांस के लिए उपयुक्त।
मांस उत्पादन के लिए नस्लें
बारबरी – कम आकार की लेकिन मांस उत्पादन में बेहतरीन।
सिरोही – राजस्थान की नस्ल, जो मांस उत्पादन में उत्कृष्ट है।
ब्लैक बंगाल – पूर्वी भारत की नस्ल, जो अपने स्वादिष्ट मांस के लिए प्रसिद्ध है।
ऊन उत्पादन के लिए नस्लें
आंगोरा – बेहतरीन गुणवत्ता का ऊन देती है।
कश्मीरी – मुलायम ऊन के लिए प्रसिद्ध।
आश्रय और आवास (Shelter and Housing)
आवास की विशेषताएं |
साफ और हवादार स्थान – बकरियों को संक्रमण से बचाने के लिए आश्रय स्वच्छ और हवादार होना चाहिए।
स्थान का आकार – प्रति बकरी 10-15 वर्ग फुट जगह रखें।
ऊंचा फर्श – फर्श को जमीन से ऊंचा रखें ताकि पानी जमा न हो और गंदगी आसानी से साफ हो सके।
सूरज की रोशनी – आश्रय में पर्याप्त धूप की व्यवस्था करें।
बारिश और ठंड से बचाव – आश्रय वाटरप्रूफ और ठंड से सुरक्षित होना चाहिए।
चारा और पोषण (Feed and Nutrition)
आहार का प्रकार
हरा चारा – जैसे नेपियर घास, बरसीम, और अन्य पत्तेदार पौधे।
सूखा चारा – भूसा, तिनका।
कंसंट्रेट फीड – खनिज मिश्रण, अनाज, और दाना।
पानी – बकरियों को प्रतिदिन साफ और पर्याप्त पानी देना आवश्यक है।
पोषण के लाभ
- दूध और मांस उत्पादन में वृद्धि।
- प्रजनन क्षमता में सुधार।
- बीमारियों से बचाव।
प्रजनन और प्रबंधन (Breeding and Management)
उत्पादक नर और मादा – प्रजनन के लिए स्वस्थ और उत्पादक बकरियों का चयन करें।
प्रजनन काल – बकरियां 6-8 महीने की उम्र में प्रजनन के लिए तैयार होती हैं।
गर्भधारण – बकरियों का गर्भकाल लगभग 150 दिन (5 महीने) का होता है।
जन्म के बाद देखभाल – बच्चों को मां का पहला दूध (कोलोस्ट्रम) अवश्य पिलाएं।
स्वास्थ्य देखभाल (Health Care)
सामान्य बीमारियां और उनकी रोकथाम
PPR (पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स) – नियमित टीकाकरण कराएं।
खुरपका-मुंहपका (FMD) – साल में दो बार टीका लगवाएं।
कृमि संक्रमण – हर तीन महीने में कृमिनाशक दवा दें।
त्वचा रोग – बकरियों को साफ रखें और कीटनाशकों का उपयोग करें।
टीकाकरण का समय
- जन्म के 3 महीने बाद पहला टीका।
- समय-समय पर बकरियों की स्वास्थ्य जांच कराएं।
उत्पादों का बाजार और विपणन (Marketing of Products)
दूध – स्थानीय दुग्ध केंद्रों और डेयरियों में बेचा जा सकता है।
मांस – कसाईखाने और सुपरमार्केट में आपूर्ति करें।
ऊन – ऊन प्रसंस्करण केंद्रों को बेचें।
खाद – किसानों को जैविक खाद के रूप में बेचें।
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बकरी पालन के लाभ
आर्थिक लाभ
बकरियां जल्दी प्रजनन करती हैं, जिससे कम समय में बकरी संख्या बढ़ाई जा सकती है।
दूध और मांस की निरंतर मांग रहती है।
कम निवेश और रखरखाव में भी अच्छा मुनाफा मिलता है।
छोटे किसानों के लिए उपयुक्त
बकरी पालन के लिए अधिक भूमि या पूंजी की आवश्यकता नहीं होती।
छोटे स्तर पर भी इसे लाभकारी बनाया जा सकता है।
दूध उत्पादन
बकरी का दूध आसानी से पचने वाला होता है और इसमें औषधीय गुण होते हैं।
यह बच्चों और बीमार व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है।
मांस उत्पादन
बकरी का मांस (चिवन) स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है।
इसकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है।
खाद और जैविक खेती में उपयोग
बकरियों का गोबर और मूत्र जैविक खाद के रूप में उपयोगी है।
यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में सहायक है।
प्रजनन क्षमता
बकरियां प्रति वर्ष 2-3 बच्चों को जन्म देती हैं।
इनकी प्रजनन दर अधिक होती है, जिससे उत्पादन जल्दी बढ़ाया जा सकता है।
सरल प्रबंधन
बकरियों को पालने के लिए अधिक खर्च और समय की आवश्यकता नहीं होती।
इन्हें आसानी से पाले जा सकता है।
जलवायु अनुकूलता
बकरियां कठोर जलवायु परिस्थितियों को सहन कर सकती हैं।
ये सूखे और कम हरे-भरे क्षेत्रों में भी जीवित रह सकती हैं।
सरकारी सहायता
सरकार द्वारा ऋण, सब्सिडी और प्रशिक्षण की योजनाएं उपलब्ध हैं।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन और प्रधानमंत्री पशुधन योजना जैसी योजनाओं का लाभ लें।