Harsha Richhariya Kumbh mela | खुबसूरत साध्वी हर्षा रिछारिया कौन है |
हर्षा रिछारिया – प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ में हर्षा रिछारिया गले मे रुद्राक्ष और फूलों की माला, माथे पर तिलक, साध्वी के कपड़ों में अपनी आकर्षक नीली आंखों के जरिए सभी का ध्यान अपनी और आकर्षित किया है, और उन्हें सबसे खूबसूरत साध्वी बताया जा रहा है | वह कभी एंकरिंग किया करती थी फिर सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर बनी अब महाकुंभ में आस्था कि डुबकी लगाने पहुंची है।
हर्षा रिछारिया एक एंकर थी जो कि अव साधबि बन गई है, ऐसे में लोगों के मन में कई सवाल आ रहा होगा कि आखिर हर्षा रिछारिया अचानक साध्वी कैसे बनी और इन्हें इस मार्ग पर जाने के लिए किसने प्रेरित किया है | तो आएय इस पोस्ट मे जानते है इस वाइरल साध्वी हर्षा रिछारिया के बारे मे |
हर्षा रिछारिया के गुरु कौन है |
स्वामी कैलाशनंदगिरि जी महाराज एक महान और तपस्वी संत हैं जो अपने तप और विधता के माध्यम से देश दुनिया में प्रचलित है, स्वामी कैलाशनंदगिरि जी महाराज निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर है, उन्होंने लाखों नागा साधुओं और हजारों महामंडलेश्वर की दीक्षा प्रदान की है |
हर्षा रिछारिया के गुरु आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री कैलाशनंदगिरि जी महाराज है, और वह महाकुंभ मे निरंजनी अखाड़ा से जुड़ी हुई है, हर्षा साध्वी बनने से पहले मॉडल और टीवी एंकर भी रह चुकी है |
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हर्षा रिछारिया कौन है |
31 साल की हर्षा रिछारिया उत्तराखंड से हैं उसका मूल घर मध्य प्रदेश के भोपाल में है वह आचार्य महामंडलेश्वर की शिष्या है,महाकुंभ में वह निरंजनिया अखाड़े से जुड़ी हुई है इस अखाड़े से नागा साधु आते हैं अपने इंस्टाग्राम पेज पर उसने खुद को एंकर, मेकअप आर्टिस्ट, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट, सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर, और ट्रैवलर ब्लोगर बताया है |
उत्तराखंड की रहने वाली हर्षा रिछारिया अभी पूर्ण रूप से साध्वी नहीं बनी है, उनका कहना है कि वे अभी साध्वी बनने के मार्ग पर चल रही है और उन्हें अभी उनके गुरु देव से दीक्षा नहीं मिली है | हिंदू धर्म में नागा साधु संत या साध्वी बनने के लिए गुरु देव से दीक्षा लेना बहुत जरूरी होता है और अभी वह दीक्षा उन्हें नहीं मिली है |
साध्वी कैसे बनते है |
साध्वी बनने के लिए महिला को बड़ी प्रक्रिया से गुजरना परता है, साध्वी बनने के लिए कई चीजों का त्याग करना पड़ता है, साध्वी बनने से पहले उसका जन्म कुंडली की जांच की जाती है साध्वी को यह भी साबित करना पड़ता है कि उनका अब अपने परिवार और समाज से कोई नाता नहीं है, उन्हें मोह माय का त्याग करना होता है, साध्वी को भौतिक शिक्षा साधनों का भी तय करना पड़ता है और तामसिक भोजन से जीवन भर के लिए परहेज करना पड़ता है साथ ही महिला साध्वी को जीवन भर भगवा रंग के वस्त्र धारण करने होते हैं साध्वी बनने की प्रक्रिया से पहले अपना सर मुरवाना होता है, उसके बाद शुद्धिकरण के लिए किसी पवित्र नदी में कम से कम 100 बार डुबकी लगानी होती है, साध्वी बनने के लिए सबसे पहले जरूरत होती है गुरु की दीक्षा लेने के बाद ही साध्वी बनने का रास्ता बनता है |
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