झारखंड राज्य के रांची जिले में स्थित जगन्नाथ मंदिर एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है।
इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।
यहाँ जगन्नाथ भगवान के दर्शन करने और मंदिर की भव्यता देखने के लिए देशभर से लोग आते हैं।
यह मंदिर रांची के पहाड़ी इलाके में स्थित है और यहाँ से शहर का बहुत सुंदर नजारा दिखता है।
झारखंड के रांची में स्थित जगन्नाथ मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण भी एक प्रमुख आकर्षण है।
यह मंदिर हर साल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है और एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है।
आइए, इस मंदिर के विभिन्न पहलुओं पर एक नजर डालते हैं |
जगन्नाथ मंदिर का इतिहास और निर्माण
निर्माण वर्ष :- रांची का जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 1691 में नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने कराया था । यह मंदिर लगभग 17वीं शताब्दी के अंत में बनकर तैयार हुआ था। यह मंदिर उड़ीसा के पुरी के जगन्नाथ मंदिर के मॉडल पर आधारित है, इसलिए इसे “रांची का जगन्नाथ मंदिर” भी कहा जाता है। यह मंदिर रांची से लगभग 10 किमी दूर है और एक पहाड़ी पर स्थित है।
निर्माण उद्देश्य :- राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव भगवान जगन्नाथ के बड़े भक्त थे और उन्होंने पुरी के जगन्नाथ मंदिर से प्रेरणा लेकर रांची में इस मंदिर का निर्माण कराया।
स्थापत्य कला :- मंदिर की वास्तुकला उड़ीसा शैली की है और इसमें सुंदर नक्काशी और कलात्मकता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया है। इसका निर्माण सफेद पत्थर और स्थानीय सामग्री का उपयोग करके किया गया है, जो इसे भव्य और सुंदर बनाता है |
मंदिर की स्थापत्य कला बहुत ही अद्वितीय और भव्य है।
यह पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जिससे इसे बहुत ही सुरम्य दृश्य प्रदान करता है।
मंदिर में उड़ीसा के स्थापत्य शैली की झलक मिलती है, जिसमें उड़ीसा शैली के मंदिरों के विशिष्ट ऊंचे शिखर और घुमावदार वास्तुकला की झलक है।
मुख्य शिखर :- मंदिर का मुख्य शिखर सुंदर और अलंकृत है, जो इसे अद्वितीय बनाता है।
प्रवेश द्वार :- मंदिर का प्रवेश द्वार भी बहुत ही भव्य है और उस पर उकेरी गई नक्काशी मंदिर की सुंदरता को बढ़ाती है।
दीवारों की सजावट :- मंदिर की दीवारों पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ और अन्य धार्मिक दृश्य उकेरे गए हैं।
जगन्नाथ मंदिर की संरचना और विशेषताएँ
प्रमुख देवी-देवता :- मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ स्थापित हैं। जगन्नाथ का अर्थ है “संसार के स्वामी”।
मुख्य गर्भगृह :- मंदिर का गर्भगृह बहुत ही सुंदर और शांतिपूर्ण है, जहाँ भक्त भगवान जगन्नाथ की पूजा करते हैं।
मंदिर का परिसर :- मंदिर के परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर भी हैं, जिनमें विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
जगन्नाथ मंदिर का धार्मिक महत्व
जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
यह मंदिर उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर के समान धार्मिक महत्व रखता है और यहाँ हर वर्ष बड़े पैमाने पर रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है।
इस रथ यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं और यह बहुत ही भव्य आयोजन होता है।
यह मंदिर न केवल रांची बल्कि पूरे झारखंड के लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है।
भक्त यहाँ भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं।
मंदिर का वातावरण बहुत ही शांत और आध्यात्मिक है, जो ध्यान और प्रार्थना के लिए उपयुक्त है।
जगन्नाथ मंदिर का मुख्य उत्सव और आयोजन
रथ यात्रा :- यह सबसे प्रमुख उत्सव है जो आषाढ़ महीने में आयोजित होता है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को रथ में बैठाकर मंदिर से बाहर लाया जाता है और यह यात्रा एक विशेष मार्ग पर संपन्न होती है।
कार्तिक पूर्णिमा :- इस दिन भी मंदिर में विशेष पूजा और आयोजन होते हैं।
मकर संक्रांति :- इस दिन मंदिर में विशेष रूप से खिचड़ी और तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं।
जगन्नाथ मंदिर मे पर्यटन और मनोरंजन
सूर्योदय और सूर्यास्त :- मंदिर की पहाड़ी से सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य बहुत ही मनमोहक होता है, जिसे देखने के लिए पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं।
फोटोग्राफी :- यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य और मंदिर की भव्यता फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।
जगन्नाथ मंदिर कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग :- रांची शहर से यह मंदिर लगभग 10 किमी दूर है और टैक्सी या बस के माध्यम से यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग :- रांची रेलवे स्टेशन से मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी या ऑटो रिक्शा का उपयोग किया जा सकता है।
वायु मार्ग :- रांची हवाई अड्डे से भी यह मंदिर टैक्सी के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।
जगन्नाथ मंदिर के बारे मे अन्य जानकारी
समय :- मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है।
प्रवेश शुल्क :- मंदिर में प्रवेश निशुल्क है।
विशेष ध्यान :- यहाँ आने वाले पर्यटकों को मंदिर परिसर में साफ-सफाई और शांति का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
जगन्नाथ मंदिर घूमने से पहले सबधानी बरते
मंदिर की पहाड़ी पर चढ़ने के लिए अच्छी फिजिकल फिटनेस की जरूरत हो सकती है, इसलिए बुजुर्ग और बीमार लोग सावधानी बरतें।
रथ यात्रा के समय भीड़ बहुत ज्यादा होती है, इसलिए अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें।
जगन्नाथ मंदिर का वर्तमान स्थिति
प्रबंधन और देखभाल :- मंदिर का प्रबंधन स्थानीय प्रशासन और एक धार्मिक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। मंदिर की साफ-सफाई और देखभाल पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
पर्यटन स्थल :- यह मंदिर अब एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है और यहाँ देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। यह रांची का एक प्रमुख आकर्षण केंद्र है।
जगन्नाथ मंदिर के बारे मे अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
स्थान :- यह मंदिर रांची शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ से रांची शहर का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है।
प्रवेश शुल्क :- मंदिर में प्रवेश निशुल्क है। भक्तगण यहाँ अपने मन से दान कर सकते हैं।
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