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गायत्री मंत्र क्या है | What Is Gayatri Mantra

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गायत्री मंत्र क्या है |

गायत्री मंत्र एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली वैदिक मंत्र है, जिसे भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसे वेदों का सार भी माना जाता है। गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से मानसिक शांति, आत्मिक शुद्धि, और आध्यात्मिक जागरूकता प्राप्त होती है। यह मंत्र ऋग्वेद के तीसरे मंडल के 62वें सूक्त के 10वें मंत्र में उल्लेखित है।

गायत्री मंत्र का श्लोक

गायत्री मंत्र का श्लोक संस्कृत में इस प्रकार है

 

ॐ भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥

 

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गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र का उच्चारण और अर्थ

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ॐ (Om)

ॐ (Om) :-

अर्थ :- यह मंत्र का सबसे पवित्र और महत्त्वपूर्ण शब्द है, जिसे ब्रह्माण्ड की आदि ध्वनि माना जाता है।

भावार्थ :- यह शब्द संपूर्ण सृष्टि का प्रतीक है और सभी ऊर्जा का स्रोत है।

भूः (Bhur) :-

अर्थ :- यह पृथ्वी लोक का प्रतीक है, जो स्थूल जगत को दर्शाता है।

भावार्थ :- यह भौतिक और भौतिकवादी संसार का प्रतीक है।

भुवः (Bhuvah) :-

अर्थ :- यह सूक्ष्म लोक का प्रतीक है, जो अंतरिक्ष और मनोवैज्ञानिक जगत को दर्शाता है।

भावार्थ :- यह हमारी मानसिक और सूक्ष्म शक्तियों का प्रतीक है।

स्वः (Swah) :-

अर्थ :- यह दिव्य लोक का प्रतीक है, जो आत्मा और दिव्यता का प्रतिनिधित्व करता है।

भावार्थ :- यह आत्मिक और आध्यात्मिक जगत का प्रतीक है।

तत् (Tat) :-

अर्थ :- यह परमेश्वर या परम सत्य का प्रतीक है।

भावार्थ :- यह शब्द उस सर्वशक्तिमान सत्ता का प्रतिनिधित्व करता है, जो सब कुछ है।

सवितुः (Savitur) :-

अर्थ :- यह सूर्य देवता का प्रतिनिधित्व करता है, जो जीवन और प्रकाश का स्रोत हैं।

भावार्थ:-  यह जीवन के स्रोत और सृजनकर्ता को इंगित करता है।

वरेण्यं (Varenyam) :-

अर्थ :- यह वरेण्य यानी सबसे उत्तम और पूजनीय का प्रतीक है।

भावार्थ :- यह उन गुणों और शक्तियों को दर्शाता है, जो पूजनीय और अनुकरणीय हैं।

भर्गः (Bhargo) :-

अर्थ :- यह दिव्य प्रकाश या आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है।

भावार्थ :- यह पवित्रता और आत्मिक प्रकाश का प्रतीक है।

देवस्य (Devasya) :-

अर्थ :- यह देवता का प्रतीक है, जो दिव्य और पवित्र शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है।

भावार्थ :- यह भगवान या दिव्य शक्ति को दर्शाता है।

धीमहि (Dhimahi) :-

अर्थ :- यह ध्यान करने का प्रतीक है।

भावार्थ :- यह ध्यान और साधना का प्रतीक है।

धियो (Dhiyo) :-

अर्थ :- यह बुद्धि या विवेक का प्रतीक है।

भावार्थ :- यह हमारी बुद्धिमत्ता और विचारशक्ति को दर्शाता है।

यो (Yo) :-

अर्थ :- यह वह या जो का प्रतीक है।

भावार्थ :- यह उस ईश्वर का प्रतीक है, जो हमारे बुद्धि को दिशा देता है।

नः (Nah) :-

अर्थ :- यह हमारा या हमें का प्रतीक है।

भावार्थ :- यह हमारी प्रार्थना और आग्रह को दर्शाता है।

प्रचोदयात् (Prachodayat) :-

अर्थ :- यह प्रेरणा देने का प्रतीक है।

भावार्थ :- यह हमारे बुद्धि को सही दिशा में प्रेरित करने का अनुरोध करता है।

 

गायत्री मंत्र का भावार्थ

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गायत्री मंत्र का क्या अर्थ है

गायत्री मंत्र का अर्थ है |

“हे सृष्टि के पालनहार, पवित्रता और प्रकाश के स्रोत, हमें सत्य और धर्म के मार्ग पर प्रेरित करें। हमारी बुद्धि को पवित्र और सत्य की ओर मार्गदर्शित करें।”

गायत्री मंत्र का महत्व

  1. आध्यात्मिक शुद्धि :- गायत्री मंत्र के नियमित उच्चारण से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और उसे आध्यात्मिक ऊँचाई प्राप्त होती है।
  2. मानसिक शांति :- यह मंत्र मानसिक शांति और एकाग्रता प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति का मन शांत और स्थिर रहता है।
  3. धार्मिक अनुष्ठान :- यह मंत्र धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा के दौरान उच्चारित किया जाता है, जिससे अनुष्ठान की शुद्धि और पवित्रता बनी रहती है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा :- गायत्री मंत्र से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाती है।
  5. बुद्धि और ज्ञान :- यह मंत्र बुद्धि और ज्ञान को जागृत करता है और व्यक्ति को सही दिशा में प्रेरित करता है।

गायत्री मंत्र का जप और नियम

  1. जप का समय :- सुबह सूर्योदय के समय और शाम को सूर्यास्त के समय गायत्री मंत्र का जप करना श्रेष्ठ माना जाता है।
  2. जप की विधि :- शुद्ध आसन पर बैठकर, आँखें बंद करके और मन को एकाग्र करके मंत्र का जप करें।
  3. गायत्री मंत्र का जाप :- 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है। इसके लिए माला का उपयोग किया जा सकता है।
  4. मन और वाणी की शुद्धि :- गायत्री मंत्र का जप करते समय मन और वाणी की शुद्धि पर ध्यान दें।

गायत्री मंत्र के फ़ायदे 

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गायत्री मंत्र के फ़ायदे |
  1. आध्यात्मिक जागरूकता :- गायत्री मंत्र व्यक्ति को आत्म-ज्ञान और आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करता है।
  2. बुद्धि और विचारशक्ति का विकास :- यह मंत्र बुद्धि और विचारशक्ति को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति सही निर्णय लेने में सक्षम होता है।
  3. तनाव और चिंता का निवारण :- गायत्री मंत्र के नियमित जप से तनाव और चिंता कम होती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  4. आध्यात्मिक मार्गदर्शन :- यह मंत्र व्यक्ति को सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

गायत्री मंत्र भारतीय संस्कृति का एक अमूल्य धरोहर है, जो व्यक्ति को आध्यात्मिकता और नैतिकता की ओर प्रेरित करता है। इसका नियमित जप और ध्यान व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम है।

 

MCQ

गायत्री मंत्र का उल्लेख किस वेद में है |

ऋग्वेद

गायत्री मंत्र का मूल श्लोक किस प्रकार से प्रारंभ होता है |

ॐ भूर्भुवः स्वः

गायत्री मंत्र में किस देवी की स्तुति की जाती है |

गायत्री देवी

गायत्री मंत्र में “धियो यो नः प्रचोदयात्” का अर्थ क्या है |

हमारी बुद्धि को सही मार्ग पर ले चलो

गायत्री मंत्र के कौन से शब्द सूर्य देवता का प्रतिनिधित्व करते हैं |

सवितुः

गायत्री मंत्र का नियमित जप किस समय करना उत्तम माना जाता है |

सूर्योदय और सूर्यास्त

गायत्री मंत्र के कितने बार जप को शुभ माना जाता है |

108

गायत्री मंत्र का पूरा श्लोक किस वैदिक ग्रंथ से लिया गया है |

ऋग्वेद

गायत्री मंत्र का उद्देश्य क्या है |

आत्मा की शुद्धि और बुद्धि का प्रबोधन

गायत्री मंत्र किस प्रकार का मंत्र है |

महा मंत्र

गायत्री मंत्र का उच्चारण किस प्रकार की मनोदशा में करना चाहिए |

शांत और ध्यानपूर्ण

गायत्री मंत्र को किसने सबसे पहले प्रस्तुत किया था |

विश्वामित्र

 

||धन्यबाद ||

 

 

 

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By Rana Singh

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